भारत की स्टार्टअप इंडस्ट्री में हर दिन नई सफलता की कहानियां लिखी जा रही हैं। लेकिन Razorpay के को-फाउंडर्स हर्षिल माथुर और शशांक कुमार ने जो इतिहास रचा है, वह खास है। 34 साल की उम्र में अरबपति बनने वाले इन युवाओं ने Razorpay को ₹8,643 करोड़ की वैल्यू तक पहुंचा दिया है।
कैसे खड़ी हुई Razorpay?
हर्षिल माथुर और शशांक कुमार की मुलाकात IIT रुड़की में हुई थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद हर्षिल ने Microsoft में इंजीनियर के रूप में काम किया, जबकि शशांक ने Schlumberger में बतौर इंजीनियर अनुभव हासिल किया। इसके बाद दोनों ने 2014 में Razorpay की शुरुआत की, जिसका मकसद ऑनलाइन पेमेंट को आसान और सुरक्षित बनाना था।
तेजी से बढ़ा कारोबार
Razorpay ने भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम में क्रांति ला दी। कंपनी ने शुरुआत में छोटे और मझोले व्यापारियों को ऑनलाइन भुगतान की सुविधा दी और धीरे-धीरे बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी करके अपना कारोबार बढ़ाया। 2025 तक कंपनी की कुल वैल्यू ₹8,643 करोड़ तक पहुंच गई।
IIT से स्टार्टअप का सफर
दोनों फाउंडर्स का सफर IIT रुड़की से शुरू हुआ और आज Razorpay भारत की सबसे बड़ी फिनटेक कंपनियों में से एक बन गई है। हर्षिल और शशांक ने साबित कर दिया कि इनोवेशन और मेहनत से असंभव को संभव किया जा सकता है।
क्या है आगे का प्लान?
अब Razorpay की नजरें नई टेक्नोलॉजी और अंतरराष्ट्रीय बाजार पर हैं। कंपनी फिनटेक इंडस्ट्री में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स के जरिए और बड़ा विस्तार करने की योजना बना रही है।
हर्षिल माथुर ने कहा –
“हमने एक ऐसे प्लेटफॉर्म की कल्पना की थी, जो भारतीय व्यापारियों को आसान और सुरक्षित पेमेंट प्रोसेस दे सके। आज Razorpay उस सपने को हकीकत में बदल चुका है।”
शशांक कुमार ने कहा –
“हमने हमेशा इनोवेशन को प्राथमिकता दी और ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से अपने प्रोडक्ट्स को तैयार किया। यही हमारी सफलता की सबसे बड़ी वजह है।”